तलाक की दहलीज से घर वापसी

August 15,2025Admin

तलाक की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद, पति बोझिल मन से कोर्ट के बाहर निकला और एक ऑटो रिक्शा में बैठ गया। उसका मन उदासी और एक अजीब खालीपन से भरा था। तभी उसने देखा, उसकी तलाकशुदा पत्नी, अवनि, भी उसी ऑटो में सवार हो गई।

पति ने एक गहरी और दर्दभरी नजर से अवनि की ओर देखा। दस साल का साथ, अनगिनत यादें उसकी आँखों में तैर गईं। अवनि ने एक हल्की, बुझी हुई मुस्कान के साथ कहा, "बस अड्डे तक का यह आखिरी सफर... आपके साथ ही करना चाहती हूँ।" उसकी आवाज में एक अजीब सी कसक थी।

पति धीरे से बोला, "एलिमनी की रकम... मैं तुम्हें दो से तीन महीने में दे दूंगा। घर भी बेच दूंगा। वह घर... जो मैंने तुम्हारे लिए बनाया था। जब तुम ही मेरी जिंदगी में नहीं रही, तो उस घर का क्या करूंगा?" उसका स्वर उदास था।

अवनि ने जल्दबाजी में कहा, "घर मत बेचना। मुझे पैसे नहीं चाहिए। मैंने एक प्राइवेट नौकरी शुरू कर दी है, मेरा और मुन्ने का गुजारा हो जाएगा।" उसकी आवाज में चिंता और दृढ़ता का मिश्रण था।

अचानक, ऑटो वाले ने तेज़ ब्रेक मारे। अवनि का चेहरा सामने की लोहे की रेलिंग से टकराने ही वाला था कि पति ने तेजी से उसका हाथ पकड़ लिया और उसे खींचकर वापस अपनी ओर कर लिया। अवनि ने उसकी आँखों में देखा। उसकी अपनी आँखें आंसुओं से भरी थीं। वह धीमी आवाज में बोली, "अलग हो गए... मगर परवाह करने की आदत नहीं गई आपकी।"

पति कुछ नहीं बोला, बस उसकी आँखों में झांकता रहा। अवनि की आँखों से आंसू बहने लगे। वह सिसकते हुए बोली, "एक बात पूछूं?"

पति ने नजर उठाकर कहा, "क्या?"

अवनि ने धीरे से कहा, "दो साल हो गए... अलग रहते हुए... मेरी याद आती थी क्या?" उसकी आवाज में एक गहरी पीड़ा छिपी थी।

पति ने एक लंबी सांस ली और कहा, "अब बताने से भी क्या फायदा? अब तो सब कुछ खत्म हो गया न? तलाक हो चुका है।" उसकी आवाज में निराशा और एक अनकहा दर्द झलक रहा था।

अवनि ने अपनी भावनाओं को रोक नहीं पाई। वह फफकते हुए बोली, "इन दो सालों में मुझे वो एक बार भी वो सुकून भरी नींद नहीं आई जो आपके हाथ का तकिया बनाकर सोने से आती थी।"

तभी बस अड्डा आ गया। दोनों ऑटो से उतरे। पति ने अचानक अवनि का हाथ पकड़ लिया। काफी दिनों बाद अपनी कलाई पर पति का स्पर्श महसूस होते ही अवनि भावुक हो गई। उसकी आँखें फिर से नम हो गईं।

पति ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, "चलो... अपने घर चलते हैं।"

यह सुनते ही अवनि चौंक गई। उसकी आँखों में सवाल और आश्चर्य थे। वह बोली, "तलाक के कागजों का क्या होगा?"

पति ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा, "फाड़ देंगे।"

इतना सुनते ही अवनि खुद को रोक नहीं पाई। वह दहाड़ मारकर रो पड़ी और अपने पति के गले से लिपट गई। बरसों बाद जैसे उसे अपना खोया हुआ सहारा मिल गया हो।

पीछे-पीछे दूसरे ऑटो में आ रहे पति-पत्नी के रिश्तेदार उन्हें इस हालत में देखकर हैरान रह गए। उन्होंने आपस में कुछ बातें कीं और चुपचाप बस में बैठकर चले गए, शायद उन्हें भी अपने सवालों का जवाब मिल गया था।

कहानी का सबक: रिश्तों को सिर्फ रिश्तेदारों पर मत छोड़ो। अपनी गलतियों को स्वीकार करो, आपस में खुलकर बात करो और अपने फैसले खुद लो। 🙏